गणपति धाम
गणपति धाम
सूंड बड़ी गजानन की
करे अचंभे काम
गिरते को संभाल ले
जो पुकारे इनका नाम।
रिद्धि सिद्धि शुभ आशीष दे
जो भक्ति करे निष्काम
वैतरणी पार कराई दे
जो सुमिरे इन्हें आठों याम।
सूंघ लेती विघ्न दूर से
कर देती उसका काम तमाम
पापी को बख्शे नहीं
पटकती उसे धड़ाम।
हिलती डुलती रहती हमेशा
न होवे इसे जुखाम
सक्रिय रहने का सदा
देती हमको पैगाम।
जो निश्चल भक्ति करें
प्राणी न बने गुलाम
अंत काल पहुंचा देती उसे
उठा कर गणपति धाम।
