दोहे 7
दोहे 7
छप्पन भोग क्षुधा नहीं,
करते जल का पान।
जो सुमिरे नित रुद्र को,
चढ़े नये सौपान ।।
अकेला खड़ा राह पर,
साथी मिला न कोय।
सुमिरन बाबा का किया
संग न भाये कोय।।
छप्पन भोग क्षुधा नहीं,
करते जल का पान।
जो सुमिरे नित रुद्र को,
चढ़े नये सौपान ।।
अकेला खड़ा राह पर,
साथी मिला न कोय।
सुमिरन बाबा का किया
संग न भाये कोय।।