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Laxmi Dixit

Abstract

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Laxmi Dixit

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दोहे 7

दोहे 7

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छप्पन भोग क्षुधा नहीं, 

करते जल का पान।

जो सुमिरे नित रुद्र को, 

चढ़े नये सौपान ।।

 अकेला खड़ा राह पर, 

साथी मिला न कोय।

सुमिरन बाबा का किया

संग न भाये कोय।।


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