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Laxmi Dixit

Abstract Drama Others

4  

Laxmi Dixit

Abstract Drama Others

शिवोहम

शिवोहम

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4

1. सर्प हार पहने गले, माला सोहे मुंड।

बाघंबर तन पे सजे, भाल मध्य त्रिपुंड।।

2. सावन में गौ रस चढ़े, होता जल अभिषेक।

भांग, धतूरा , मधु चखें, रख बाबा बहु भेष।।

3. चोट लगी रोया नहीं, बहुत बड़ा तू धीर।

भोले को रमता रहा, भूल गया सब पीर।।

4. दुख कौन सा है तुझे, क्यों रहे तू उदास।

जैसा भी संकट पड़ा, कर देंगे हर नाश।।

5. गिरते को संभाल ले, है सबका तू मित्र।

विष पिया हंसता रहा, बाबा बड़ा विचित्र।।



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