महिमा शिव की
महिमा शिव की
महिमा शिव की क्या कहूं हे दुख भंजन नाथ।
भुजंग हार कंठ सजे बनाते बिगड़ी बात।
जो अरदास सांची करें नियम से हर प्रात।
द्वेष न रखे कोई से नश्वर जाने गात।
हर नाम रमता रहे करें पूरे हर काज
कपट, बैर ना घृणा करे देखे हर प्राणी में तात।
बाबा का वो प्रिय रहे ना खाये किसी से मात।
मृत्यु भय न व्यापे उसे जन्म पाये अभिजात।
