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Sanjay Jain

Romance

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Sanjay Jain

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दो दिलो का मिलन

दो दिलो का मिलन

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दिल की बैचेनी को,

कैसे हम मिटाये।

जो गम है जिंदगी में,

उन्हें कैसे भूल जाये।

कुछ तो बताओ हमें,

कैसे सुख शांति पाएँ।

बिखरी हुई हैं जिंदगी,

कैसे समेटे इसे।

दिल में बसी जो मूरत,

उसे कैसे निकाल दें।

कैसे पुकारू तुमको,

अब तुम ही बता दो।

और दो प्रेमीयों को,

आपस में मिला दो।

कब से तड़प रहे हैं,

मिलने को दो दिल।

कैसे मचाल रहे है,

खिलने को दो दिल।

कैसे मिलाए इनको, 

अब तुम्हीं बताओं।

मोहब्बत के इस रिश्ते को, 

कोई नाम दिलाओ।।

और प्यार मोहब्बत से , 

लोगो को जीना सिखलाओ।



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