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Bal Krishna Mishra

Romance Classics

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Bal Krishna Mishra

Romance Classics

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए !

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए !

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💔 दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए 💔


बीते लम्हों का सूनापन

तेरी यादों का महकता चंदन

आँखों में थमी तेरी परछाई,

रोशनी बनकर बूंदों में घुल जाए ।

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए |


कहां मुमकिन है मोहब्बत को

लफ्ज़ों में बयां कर पाना ।

आसान नहीं भुला, यादें

सुकून की नींद में सो जाना ।


ज़िस्म से रूह तलक, बस सुकून छा जाए ।

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए |


जीवन के पावन 'निर्झर' को,

तुम यूँ ही बह जाने दो ।

एक पल, बस एक पल,

नीले अँधेरे में गुम हो जाने दो ।


तारों की चादर ओढ़,

चाँद की रोशनी में खो जाऊं ।

तेरी मोहब्बत की खुशबू में,

खुद को फिर से पा जाऊं ।


ज़िस्म से रूह तलक, बस सुकून छा जाए ।

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए |


तेरे बिना सारा जहाँ, सूना सा लगता है,

जैसे एक सिसकी.…

जैसे एक सिसकी ।

ये कैसा अधूरापन ?

ये कैसा सूनापन ?

शायद यही है इश्क़ अपना…

एक मीठा सा पागलपन ।


हर खुशी बेमानी, हर नशा अधूरा,

तेरे बिन ये जीवन, एक ख़्वाब ना पूरा ।

तुझसे ही शुरू, तुझपे ही फ़ना,

तेरे बिना अब नहीं , कहीं ठिकाना ।


ज़िस्म से रूह तलक, बस सुकून छा जाए,

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए ।


ये रात ठहर जाए, पलकों पे ठहर जाए ।

होठों पे तेरा नाम हो, और सुबह ना आए ।

हर ख्वाहिश मिट जाए, बस तू ही तू रह जाए ।

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए |


ज़िस्म से रूह तलक, बस सुकून छा जाए ।

दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए ।

~ बाल कृष्ण मिश्रा

मोबाइल : 8700462852


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