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सोनी गुप्ता

Abstract Children

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सोनी गुप्ता

Abstract Children

दिन बन गया

दिन बन गया

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आज का मेरा दूसरा दिन कुछ यूँ बीता 

सूरज की रोशनी से सुबह कुछ सुहानी हो गई

आंख खुली देखा कल की बात पुरानी हो गई  

चिड़ियों की चह- चहाहट सुनकर भोर हो गई 


बच्चों ने उठकर इधर उधर चहकना शुरू किया  

देखकर अब तो लगा दिन की शुरुआत हो गई  

घर पर चल गया भगवान के भजनों का दौर 

और भजन को सुनकर बच्चों ने मचा दिया शोर  


पर आज के बच्चों को तो भजन कहाँ भाता है  

उनको तो बस नए गानों पर थिरकता आता है  

अब तो जल्दी खुलने वाला हैं कार्यकाल हमारा 

मिला इतना काम हमें लगा कार्य भार बढ़ गया  


घर की जिम्मेदारी संग कार्यलय का काम आ गया  

चलो अब माना जिंदगी को तो ऐसे ही बिताना है  

घर और काम दोनों में हमें सामंजस्य बनाना है  

आज तो पतिदेव ने फरमाया खाना हम बनाएंगे  

हमने भी कहा ठीक है हम भी प्यार से खाएंगे  


आज का दिन तो हमारा बहुत अच्छा बीत गया  

पर कार्यभार इतना बढ़ा थकान से सिरदर्द हो गया 

बेटी ने अदरक की चाय पिलाई

लगा आज तो दिन बन गया ! 


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