दिल्ली में दुराचार
दिल्ली में दुराचार


एक दिन मै बैठा बैठा,
सोच रहा था बात वही,
जो सबका दिल है पूछ रहा,
जो सबकी आत्मा सोच रही,
दिल्ली की उन सड़कों पर,
दौड़ती भागती बस वही,
जिसमें एक अबला की आबरू,
दो घंटों तक लुटती ही रही,
उसके मित्र ने विरोध किया,
तो उसे रॉडों की मार पड़ी,
वह लड़की भी थी बड़ी साहसी,
वह मौत से पुरजोर लड़ी,
दिल्ली में लड़ते लड़ते,
वह सिंगापुर की ओर चली,
पर सिंगापुर पहुंचते ही,
वह मौत से भी हार चली,
जाते जाते इस दुनिया से
पूरी दुनिया झकझोर चली,
उन दरिंदों का अब क्या होगा
जिनके कारण यह घटना घटी।