आक्रोश
आक्रोश
चुप ना बैठेंगे हम अब रक्त की नदियां बहाएंगे
कतरा कतरा जो लहू बहा उस लहू का कर्ज चुकाएंगे
किया षड्यंत्र जिसने भी ये
कर वध उसका हम लायेंगे
अब पाक के भीतर घुसकर हम
तिरंगा अपना लहराएंगे
बहुत हो गया खेल यह अब
हम विश्व युद्ध अब कराएंगे
आक्रोश भरा है इस कदर
के अब बच्चा बच्चा सरहद जाएगा
एक एक शेर देश का
दस दस शीश काट कर लाएगा
फिर अपनी घिनौनी करतूतों पर
कायर पाक बैठ पछताएगा
पुलवामा कांड को हम
इतनी जल्दी भूल ना पाएंगे
दिया घात जो पाक ने हमको
वो अब बार बार हम दोहराएंगे
भले मिट जाए नाम हमारा
पर अब आतंक का अस्तित्व मिटाएंगे।।
