STORYMIRROR

Habib Manzer

Romance

2  

Habib Manzer

Romance

दिल वही रात भर

दिल वही रात भर

1 min
2.4K


मै यहाँ हूँ अभी ज़िंदगी है सफर

दिल मेरा ढूंढता दिल वही रात भर


मै चला था कभी मंज़िलो की तरफ

ख्वाब अबतक नज़र मे वही रात भर


अजनबी बन गया मै सनम शहर मे

आशिकी शहर से अब वही रात भर


रोकता भी रहा अक्ल दिल को मेरे

फिर गिला दिल करे अब वही रात भर


मुस्कुराने की आदत सिखा भी दिया

दिल है तन्हा मेरा ग़म वही रात भर


क्यों सताने लगा मुझको मेरा सनम

याद मे ज़ेहन मे वो सनम रात भर


क्या गज़ब थी हसीन महफिलो का समा

बिन तेरे महफिलें सुनी अब रात भर


मै बुलाता हूँ तुमको कसम प्यार पर

मुंतज़िर दिल रहा है सनम रात भर


कितना नाज़ुक सनम है मेरा देख लो

ज़ेहन मे दिल इबादत सनम रात भर


मै भटकता रहा ढूंढता दिल रहा

कैफियत दिल मेरा है वही रात भर


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance