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अमित प्रेमशंकर

Romance

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अमित प्रेमशंकर

Romance

दिल उसपे मेरा आ गया

दिल उसपे मेरा आ गया

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नई किरणों के संग,नया सवेरा आ गया!

देखा एक सुंदरी,दिल उसपे मेरा आ गया!!


सभ्य थी,सुशील थी,संस्कारों की पटल थी

कमल सी खिली वो,सत्य सी अटल थी

कचटता रहा दिल ये, देख उसकी सूरत

प्यासे नयन, तृप्त हुए देख मूरत

मेरे दिल के घर का कोई, बसेरा आ गया!

देखा एक सुंदरी,दिल उसपे मेरा आ गया!!


मंदाकिनी,रागिनी,रात रानी

सोलह श्रृंगार में, थी परियों की रानी

पुष्प-सी थी कोमल, कुछ तितली सी चंचल

पूर्वी ब्यार,खिंच रहें थे उसके आंचल

करूं कैसे जतन, कैसा बेरा आ गया!

देखा एक सुंदरी, दिल उसपे मेरा आ गया!!


सिले हुए लब, मोहिनी मुस्कराहट

सब कुछ खामोश,बस थी सांसों की आहट

वैरागी मन,छोड़ संताप अपना

कैसी तड़प है ये, क्या छटपटाहट

मेरे दिल का हाय कैसा, लुटेरा आ गया!

देखा एक सुंदरी, दिल उसपे मेरा आ गया!!

        



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