दिल रैन बसेरा...
दिल रैन बसेरा...
तुम्हारे दिल की
अंजानी गलियों में
कही मेरा भी
छोटा सा रैन बसेरा है,
जहाँ एक जोड़ी नैना
हर पल यूँ ही
सूनी राहों को तकते हैं
अशकों से भर जाते हैं
फिर भी कभी ना थकते हैं
यूँ तो रहता अक्सर
गहरा बहुत अंधेरा है
पर कभी कभी जब
उन सूनी राहों पर
कदम तुम्हारे पड़ते हैं
रोशन हो उठती हैं गलियाँ
लगता हुआ सवेरा है
तुम्हारे दिल की
अंजानी गलियों में
कहीं मेरा भी
छोटा सा रैन बसेरा है।।