दिल को जलाया है
दिल को जलाया है
हर घड़ी हर लम्हा
तूने मेरे दिल को
जलाया है,
जब भी मैंने
महफ़िलो में
खुद को
तन्हा पाया है
इस दिल को बस
तू ही याद आया है !
मेरे दिल के ज़ख्म को
आज भी
कुरेदती है,
तेरी यादें
लाख कोशिशों के बाद भी
तुझे,
भुला नहीं पाया है,
कुछ समझ ही
नहीं आता
धूप है या छाया है,
हर घड़ी हर लम्हा
तूने मेरे दिल को
जलाया है,
इस दिल को बस
तू ही याद आया है !
आग सीने की
दहकती ही जा रही है,
जो तूने लगाया है,
शायद तू भूल गयी होगी,
किसी और कि
बाहों में समाने के बाद,
बहुत कोशिश की
मैंने भी दिल लगाने की,
मगर जलने कि
खुशबू आज भी
इस दिल से
मिटा नहीं पाया है,
धूप है या छाया है,
हर घड़ी हर लम्हा
तूने मेरे दिल को
जलाया है,
इस दिल को बस
तू ही याद आया है !
अब तो मिलती भी हो
कभी
तो नजरें झुका लेती हो,
इस दिल कि धड़कन को
आज भी बढ़ा
देती हो,
किसी को चाहना,
अपना बनाना,
दिल भर जाये तो छोड़ जाना,
इस खेल के तो
पक्के खिलाड़ी हो तुम,
ये नादान दिल
ना जाने, क्यों
आज भी
तुमपे
जान निसार करता है,
इसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ता,
आज भी तुमसे
बेपनाह प्यार करता है,
तुमसे दिल लगाकर
मैंने
आंसुओं के सिवाय
क्या पाया है,
धूप है या छाया है,
हर घड़ी हर लम्हा
तूने मेरे दिल को
जलाया है,
इस दिल को बस
तू ही याद आया है !