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manasvi poyamkar

Romance

5.0  

manasvi poyamkar

Romance

दिल की दास्तां

दिल की दास्तां

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दिल की दास्तां

बयान करता

तू अगर देती

इजाजत

तेरे दर पर

कभी आता

इस दिल को

मिल जाती राहत

तड़पी नहीं होती

यूँ रुह मेरी

हो जाती अगर तु मेरी

सुनती

के हाल ए दिल मे

तुझको सुनाता

दास्तां बया करता


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