दिल के करीब
दिल के करीब
रातों के अंधेरे में, अकेले अपने अंजुमन में
एक ख़ामोशी मुस्कुराई,जब दिल को तेरी याद आई,
आंखें धुमिल हैं,चंचल हैं , स्वपन में खोने को बेचैन हैं
पर कमबख्त दिल ,तुझे याद करने में मशगूल है।।
तेरी सूरत, तेरी बातें तेरी सुकोमल नरम सांसे
मेरे जिस्म को भिगोती तेरी भीगी - भीगी मुलाकातें
एक सुंदर ग़ज़ल है तू ,मेरी कविताओं की लहर है तू
मुझसे और मुझसे ही जुदा एक अनसुलझी पहल हो तुम।
कजरारे नयनों में,एक अलग ही कशिश है
इन मतवाले केशो में ,एक अलग ही लचक है
इन गुलाब रूपी लबों पे, मिठास अंकित है
तेरे चितवन के आगे, जिंदगी बेबस है।।
अब जुदाई बर्दाश्त के बाहर है,
तुझे अपना बना,घर बसा लेने की चाह जबरदस्त है,
आ जाओ अब बनके मेरी हमराह,
तेरे कदमों की आहट का, मेरे घर की चौखट को इंतजार हर वक्त है।

