दिल के कोरे पन्ने
दिल के कोरे पन्ने
दिल के कोरे पन्नों पर मुस्कुराने की वजह लिख दो,
तुम क्या चाहते हो एक बार हंस कर हमसे कह दो,
मुझे अब अपने दिल की धड़कनों पर नहीं एतबार,
बेताबी -ए- दिल की तुम अपनी कैफियत लिख दो I
वक्त बेवक्त भी जाने क्यों बदलता नहीं ये वक्त मेरा,
ये चाहता तुम मेरी दहलीज पर अपने कदम रख दो,
तुम्हें देखकर ही शायद सम्भल जाएगा ये दिल मेरा,
दिल के कोरे पन्नों पर मुस्कुराने की वजह लिख दो I
तेरे बगैर ये तबीयत कुछ उदास-उदास रहती है मेरी,
चंद कलियाँ निशात की चुनकर हमारे पास रख दो,
दर्द-ए-इश्क सुन सुनकर हमने अपना दर्द कह दिया,
अब तो कोरे पन्नों पर उस दर्द की तुम दवा लिख दो I
महफिल में इस ख्याल से आया कि तुम मिलोगे हमें,
है तुम से ही इसे इश्क मुझे शायद तुम फिर कह दो,
महफ़िल में आकर हर सूरत में तुम्हीं को ढूंढता हूँ,
जिगर में जो छुपाया है दर्द-ए- ग़म उसे बयां कर दो I
बेचैनियाँ समेट कर सारे जहान की इश्क़ कह दिया,
तुमसे बेइंतहा इश्क करने की तुम वजह लिख दो,
इन आंखों में छिपाए फिर रहा हूँ तुम्हारी यादों को,
अब तो अपनी यादों का एक नया सवेरा लिख दो I
भेजी है अपनी तस्वीर तुम्हें गौर से उसे देखना कभी,
हो सके तो तुम कोरे पन्नों पर उसका जवाब लिख दो,
नींद नहीं इन आंखों में तुम्हारी याद मुझे सताती है,
मेरी पलकों में आकर तुम प्यार के वो स्वप्न लिख दो I
आशा है हृदय मेरा टटोलोगे के मेरी बात सुन पाओगे,
स्वाति बूंद-सा ही सही दिल पर अपना इश्क़ लिख दो,
हमारे इश्क़ की वो किताब कब से ही यूँ खाली पड़ी है,
इस दिल के कोरे पन्ने पर हमारी प्रेम कहानी लिख दो I