दिल के जज़्बात
दिल के जज़्बात
जुबान का थोड़ा कड़वा सही
मगर मैं दिल का बुरा नहीं...
खेल कर मन भर जाएं
तेरा, मैं वो खिलौना नहीं...
हूँ थोड़ा सरल स्वभाव का
मगर मैं कोई गुलाम नहीं,
जिसे नचा लो तुम तुम्हारी
उँगलियों पर मैं वो दास नहीं...
सबको एक समान रखता हूँ
किसी में मनभेद करता नहीं,
सच्चाई कि राह पर ले जाता हूँ
किसी से कोई नाता रखता नहीं...
जी के तो देखें कोई मुझे एक
बार प्रेम से, सभी के प्रति एक
समान प्रेम रखता हूँ किसी से
बैर करता नहीं...