"दिल के अफसाने: एक कहानी दर्द, मोहब्बत और खुद्दारी
"दिल के अफसाने: एक कहानी दर्द, मोहब्बत और खुद्दारी
गलतियां और इंसान का रिश्ता
भूमिका:
गलतियां इंसान की ज़िंदगी का हिस्सा होती हैं। पर हर गलती सच में गलत होती है क्या? या उसके पीछे भी एक कहानी छिपी होती है…
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🌸 1. गलतियों और इंसान का रिश्ता
इंसान और गलतियों के बीच भी एक अजीब सा रिश्ता होता है,
जो ना करे तो भगवान बन जाता है, और करे तो गलत तो हो ही जाता है।
देखा जाए वैसे गलतियां करते तो सभी हैं,
पर गलत वही है जो पर्दे के पीछे नहीं है।
पर क्या गलती करने वाला हर इंसान सच में गलत होता है?
क्योंकि हर गलती के पीछे एक वजह ज़रूर होती है,
वो वजह कभी हालात तो कभी इंसान की मजबूरी होती है।
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🌸 2. तमाम-ए-जहां के सामने
तमाम-ए-जहां के सामने मुझे अपना कहकर पुकारा था जिसने,
बारी आई जब बनाने की अपना, बड़ी बेरहमी से बेदखल कर दिया अपनी जिंदगी से उसने।
बिखेर दिया, मुझे तोड़ दिया,
ऐ मेरे मुरशद खेलकर दिल-ओ-जिस्म से उसने,
मुझे तवायफ कहकर छोड़ दिया!
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🌸 3. फूल से लोग जब कांटों में तब्दील होते हैं
फूल जैसे लोग जब कांटों में तब्दील होते हैं,
शहद जैसे अल्फाज़ों में ज़हर भर लेते हैं,
अपने हर जुल्म को बेदर्द, हर सितम को बेरहम कर लेते हैं।
दीदार-ए-मोहब्बत को हवस में तब्दील करने लगते हैं,
अजीजा को फिर तवायफ कहने लगते हैं,
फूल जैसे लोग जब कांटों में तब्दील होते हैं!

