STORYMIRROR

laxmi gola

Inspirational Others

3  

laxmi gola

Inspirational Others

भ्रम vs सत्य

भ्रम vs सत्य

1 min
197

हुई ऐसी क्या खता मुझसे,

जो मोह मेरा इस भ्रम के जगत सँग जोड़ा,

खुद ही सिखाकर प्रेम का सत्य अर्थ ,

फिर क्यों इन झूठे लोगों के बीच मुझे छोड़ा,

ऐ मेरे मुरलीधर, लगाने से पहले खुद से लगन,

क्यों नहीं तोड़ी इस जगत से मन की ये डोर,

क्यों रुकूं मैं तुमपे तब ही, जब मोकू कँऊ और न मिले ठौर? 

तुमते जूरू मैं कैसे राम, कै फिर तोर कौ ना होये क़ोई भय,

ना फिर खींचे जगत की माया,

बिनती करू मैं इतनी तोते,

तू मोये खुदमे समाये लय!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational