दिल ए मुश्किल
दिल ए मुश्किल
हाल-ए-दिल अब बताना मुश्किल हुआ,
दर्द-ए-दिल अब छुपाना मुश्किल हुआ।
मांगी थी रब से थोड़ी अपने लिए खुशी,
अब खुशियों को हमें पाना मुश्किल हुआ।
खामोशी में रहगुज़र भटकी सी जिंदगी,
अब अश्कों को आँखों में मिलना मुश्किल हुआ।
चाहत थीं हर खुशी में शरीक हो जो अपने,
अब उन्हीं से नजरें चुराना मुश्किल हुआ।
क्या खता थी मेरी जो समझ भी ना सके,
कब खुद को उन्हें समझना मुश्किल हुआ।