दिल दीवाना
दिल दीवाना
मालूम ना था कि उनका आना होगा,
अब के बरस फिर दिल दीवाना होगा।
चोरी-चोरी चुपके-चुपके ले गया दिल,
आशिक़ हमारा शायद वो पुराना होगा।
थम रही सांसें, बढ रही है बेचैनी फिर,
मर्ज़े-इश्क़ ये तबीब को दिखाना होगा।
आराम जो आ जाये एक खुराक में,
जहरे-हुस्न पे जहरे-इश्क़ चढ़ाना होगा।
परहेज़ रखा गैरो से मिलने का ताउम्र,
हाले-दिल खातिर अपना बनाना होगा।
बैठा है कौन सा राज छुपाये दिल में वो,
उतर के अब दिल में पता लगाना होगा।
'दक्ष' दर्द-आमेज़ खेल रहा यह इश्क़,
ज़ख्म तुमको भी इक नया खाना होगा।

