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Vikas Sharma Daksh

Romance

3  

Vikas Sharma Daksh

Romance

दिल दीवाना

दिल दीवाना

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मालूम ना था कि उनका आना होगा,

अब के बरस फिर दिल दीवाना होगा।


चोरी-चोरी चुपके-चुपके ले गया दिल,

आशिक़ हमारा शायद वो पुराना होगा।


थम रही सांसें, बढ रही है बेचैनी फिर,

मर्ज़े-इश्क़ ये तबीब को दिखाना होगा।


आराम जो आ जाये एक खुराक में, 

जहरे-हुस्न पे जहरे-इश्क़ चढ़ाना होगा।


परहेज़ रखा गैरो से मिलने का ताउम्र,

हाले-दिल खातिर अपना बनाना होगा।


बैठा है कौन सा राज छुपाये दिल में वो,

उतर के अब दिल में पता लगाना होगा।


'दक्ष' दर्द-आमेज़ खेल रहा यह इश्क़,

ज़ख्म तुमको भी इक नया खाना होगा।


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