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Neha Pandey

Romance

3  

Neha Pandey

Romance

दिल ढूढ़ता है

दिल ढूढ़ता है

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दिल ढूंढता फिर रहा उसे

जो परछाई बन नहीं ,

मेरे साथ चल सके ,

कभी ख़ामोश हूँ अगर

तो मेरी आवाज़ बन सके।


कभी अपने हाथों को

मेरे सिरहाने की तकिया बना सके ,

अग़र देर तलक जग जाऊं तो

अपनी भी नींदे उड़ा सके ।


मेरे हँसने व रोने में

खुद को शामिल कर सके,

मेरे दुःख - सुख के पैमाने में

ख़ुद को छलका सके।


मेरी सुबह की ताज़गी और

शाम की खूबसूरती बन सके ,

मेरे बेचैन पलों का

वो सुकून बन सके।


मेरे रूठने पर

मनाने की कोशिशें कर सके ,

कभी बिन बोले ही

बातों पर ग़ौर कर सके।


हजार वादे न करके

बस साथ दे सके ,

घर जंगल में सही

बस महफ़ूज रख सके ।


ऐसी ख्वाइशें सिर्फ़ मैं उससे नहीं

वो उम्मीदें मुझसे भी कर सके ,

दिल ढूढ़ता फिर रहा उसे

जो परछाई बन नही ,

मेरे साथ चल सके ।



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