दिखा तो सिर्फ़ फूलों का खिलना
दिखा तो सिर्फ़ फूलों का खिलना
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सब कुछ कहाँ दिखा...
दिखा तो सिर्फ़ फूलों का खिलना
लोगों ने कहाँ देखा
फूलों के संग,
डाल भी खिलती है,
जड़े भी खिलती है,
और पौधा भी पेड़ हो गया।
आकर्षित फूल ने उस पेड़ के
अवशेष अंगों को दिखने न दिया
लोग भी आकर्षित ही हुए...
फूलों की खुश्बू में...
उस नन्ही कली का डाल हो जाना
कहाँ दिखता है...
लदलदाते फलों से पहले
उस डाल पर उगे हरे पत्तों को कौन देखता है।