दीपों की ख़ुशबू लाई दीपावली
दीपों की ख़ुशबू लाई दीपावली
देख, सखी री !
मन के अँधेरे को
मिटाने आई है दीपावली
लेकर दीपों की अनुपम रोशनी,
जगमग दीपों ने जगकर
रोशन कर दी अमावस की रात भी
धरा पर बिखरे झिलमिल प्रकाश को देख
आसमान भी खुश होकर
अपने सितारों की जगमग बढ़ाने लगा है,
चाँद जो आज छिपा हुआ है
वह प्रकृति के नियम में बँधा हुआ है पर
देकर उसने खुशियों का आशीष
अपनी रोशनी से हर चेहरे और दिल को
पूर्णिमा की चाँदनी सा जगमगगा दिया है।
हाँ, देखो आज दीपावली में
हर दीप माटी की ख़ुशबू से महक रहा है।
