दीदार तेरा
दीदार तेरा
पलक उठी पल भर को
तुम सिमटे से
खङे दिखे सामने,
ऐ मेरे नज्म
मस्ती के प्याले
मानो भर दिए
मतवाली हसीं शाम ने।।
हुस्न लाजवाब यह
बिन पिए नशे से मग्न किया
ऐ जाने जिगर
ठहरो पल दो पल
मस्त ऑंखों ने क्या जादू किया
दीवाने को कर गया दीवाना
मदमाती आँखें व नूरे शबाब।।
सिमटकर बाहों में थम लो
छूकर तुम्हें हम देेख लें
तुम हो जानम
मेरी तमन्ना-ए-ख्वाब,
रूकी रहो तुम बस यूँ ही
मिटकर तमन्नाएं-ईश्क
अपनी जां तेरे नाम तो कर दे।।
लहू मे आओ अपने तुम्हे घोल लें
मल्लिकाा-रूह एक तुम हो साजन
धङकन धङकन तुुुुम्हे पुुुकारे,
अनकही रह गई,सुनो रूह की
उन उलझते लफ्जों को बोल लेें।।