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Asmita prashant Pushpanjali

Drama

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Asmita prashant Pushpanjali

Drama

धुआँ धुआँ है जिंदगी

धुआँ धुआँ है जिंदगी

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धुआँ धुआँ है जिंदगी

खौफ से डरी डरी

उड़ चली है यूँ ही

सिगार के कश में घुली घुली।


छाया है चारों ओर मंजर

ना जाने क्यूँ तनहाई का।

रात है डरावनी,

साया भी गुम है कहीं।


वक्त की जंजीरों ने,

बांध रखा है हाथों को।

हाथों की काली स्याही ने,

लिखा है तकदीरों को।


धुआँ धुआँ है जिंदगी

खौफ से डरी डरी।


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