धरती बाटी अम्बर बाटा....
धरती बाटी अम्बर बाटा....
बाँट रहे हो धर्मों को तुम,
बाँट रहे इंसानो को, बाँट दिया है सबको,
तो क्या चाँद सितारों का होगा, धरती बाँटी अम्बर बाँटा....
और नदियों के कुछ नाम रखे, तो क्या बेहती धरो का होगा.....
शिव की गंगा भी पानी है, अबेज़्मज़्म भी पानी है,
मुल्ला भी पिए, पंडित भी पिए, तो पानी का मज़हब क्या होगा....
एक हवा में श्वास है सबकी, क्या अब हवा भी नई चलाओगे,
इंसानों को तो बाँट दिया, या अब इंसान भी नया बनाओगे.....
जाती क्या धर्म क्या ?
धर्मों पे होते दंगे है, मंदिर क्या मस्जिद क्या ?
ईश्वर तो सबके मन में है.....
क्यों हिन्दू मुस्लिम करते हो, आखिर, आपस में क्यों तुम लड़ते हो ?
जो हिन्दू मुस्लिम करते है, रेहबार वो कोम के ढोंगी है....
बाँट रहे हो धर्मों को तुम, बाँट रहे इंसानों को,
तो क्या चाँद सितारों का होगा,
धरती बाँटी अम्बर बाँटा और नदियों के कुछ नाम रखे,
तो क्या बहती धारा का होगा...
बाँट दिया इंसानों को, अब बाँट रहे भगवानों को.........
