धोखा
धोखा
कितने पत्थर दिल होते हैं वो लोग
जो किसी के दिल से खेल जाते हैं
वफ़ा की उम्मीद जगा कर बेवफाई कर जाते हैं
खुद के दिल को बहलाने के लिए
किसी और कै दिल को तोड़ देते हैं
ना जाने कैसे इन्हे सुकून मिलता है
किसी और के सुकून को छीन कर
कितनी चालाकियां भरी पड़ी होती है इन में
रोज़ नए नए बहाने बना ले आते हैं
कितने खिलाड़ी होते है मोहब्बत के नाप पे
आपके दिल ओ दिमाग से खेल जाते हैं
रातों के सुकून तक को ले जाते हैं।