ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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कौन कहता है ज़िन्दगी का कोई मोल नहीं
ज़रा उनसे पूछें जो आपकी
जैसी ज़िन्दगी की चाहत रखते हैं
ज़िन्दगी यूं ही ख़तम करने का नाम नहीं
हम क़ूदरत के नियम भूल क्यूं जाते हैं
यह तो जहांन -ए-फानी है बचा यहाँ कोई नहीं
हमें अपने कर्मो को है पूरा करना, है भूलना नहीं
हमें किस नें हक़ दे दिया इसे ख़त्म करने का
यह हक़ तो खूदा ने किसी को भी दिया नहीं।