धन्य-धाम भारत की धरती
धन्य-धाम भारत की धरती
धन्य-धाम मेरी भारत की धरती
तुझको मेरा शत-शत प्रणाम है,
तुझ पर मैं नित बलिहार जाऊँ
ये जीवन आये बस तेरे काम है।
बिन तेरे मेरा कोई अस्तित्त्व नही
तुझसे ही यह जीवन आबाद है,
तेरी मिट्टी की अनमोल है गाथा
तेरे वरद हस्त का आशीर्वाद है।
तेरे चरण-रज मेरा मस्तक-चंदन
ये तन-मन-धन तुझको है अर्पण,
यह भाल करे तेरा है अभिनन्दन
तेरा यश-गौरव हम गाएँ जनजन।
तुमने जो हम पर उपकार किया
यह किसी वरदानों से कम नही,
दिया है तुमने सुस्वादु अन्न-जल
यह किसी चमत्कारों से कम नही।
बस मेरे मन मे ही इतना भान है
तुझसे ही जनजन का अभिमान है,
तेरी रक्षा खातिर जाए यह जान है
फर्ज है मेरा, बचाना तेरा सम्मान है।