"आओ प्रिये"
"आओ प्रिये"
आओ प्रिये हम एक दूसरे में समा जाएँ
ऐसा प्रीत करें कि ये प्रीत अमर हो जाए।
प्रीत हमारा पावन है इसको धन्य बनाएँ
आओ मिलकर हम यह नव संसार बसाएँ।
इस धरा में प्रीत है पूजा इसे हम अपनाएँ
प्रीत-पुष्प के बागों से यह सुरभित हो जाए।
तुम बिन जग सुना लागे तू ही नजर आए
पास में हम रहें प्रतिपल ऐसा प्रीत जगाएँ।
तेरे बिन अधूरा लागे दिन-रैन अब न भाए
आओ एक दूसरे का हम श्रृंगार बन जाएँ।
आओ प्रिये एक दूसरे की छाया बन जाएँ
साथ चलें साथ रहें यह प्रीत कम न हो पाए।
चले आओ भी प्रीत का ऐसा फूल खिलाएँ
शीतल-मन्द-सुगन्ध से तनमन को महकाएँ।

