मेरी बिटिया
मेरी बिटिया
मेरी बिटिया मेरे लिए,कीमती उपहार है
इससे ही सँवरता है,मेरा घर-परिवार है।
तू मेरे घरबगिया में,महकती फूल-डार है
तू मेरे घर-आंगन में,लाती सदा बहार है।
तेरे बिना घर-आंगन, सूना है,निराधार है
तुझसे घर की रौनकता, तुझसे बाहर है।
तुझसे ही मेरी मर्यादा,तू मान-सम्मान है
मेरा अस्तित्त्व कुछ नही,तू अभिमान है।
तेरे बिना मै कुछ नही, तू मेरी पहचान है
तू न होती अगर तो,न आता मै जहान है।
तू है दो कुलों की मर्यादा,तू ही मिलाती है
तू ही है घर की लक्ष्मी,दोनों को मिलाती है।
तू शक्ति माँ की मूरत,बहना,तू अर्धांगनी है
तू ही पग-पग चलती,तू सहचर-संगिनी है।
तू ही दुर्गा,तू ही काली,तू लक्ष्मी समान है
तू शक्ति,तू संहारक,तू ममता की खान है।
