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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

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धारणा

धारणा

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समस्या और क्षमता का रिश्ता गहरा होता है

मगर , विपरीत और समानुपातिक होता है,

गलत है कहना जिंदगी नहीं मिलती दोबारा

सच्च है की मौत नही आती मिलने दोबारा,

साक्ष्यभाव मे ठहर देखो निज जीवन दीर्घा

निद्रा है अल्प मृत्यु और मृत्यु है दीर्घनिद्रा,

हर सुबह जिंदगी से नई मुलाकात होती है

हर कोशिश का प्रतिबिम्ब प्रभाव दिखाती है,

दया करने वाला याद आता है

भला करने से लाभ होता है,

अच्छे वक्त मे घमंड दिखता है

बुरे वक्त मे अंजाम दिखता है,

खुशी नही मिलती कमाने से

मिलती वह केवल त्यागने से,

ठिकाना बदलने से महत्व बदलता है

रास्ते मे पड़ा पत्थर ठोकर खाता है,

मंदिर मे रखे पत्थर पर माथा टिकता है ।।



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