देशद्रोह
देशद्रोह
आज फिर से गणतंत्र शर्मसार हो गया,
तिरंगे की जगह दूसरा झंडा फहर गया।
किसान चले गए अपनी फसल का रखाव करने,
किसान के भेष में भ्रष्टाचारी दे रहे हैं धरने।
काश इनको भी किए का दंड मिल जाता,
फिर कोई भ्रष्टाचारी किसान न बन पाता।
देश के भ्रष्टाचारी किसान को बदनाम कर रहे हैं,
देश और किसानों की बेइज्जती सरेआम कर रहे हैं।
इन देशद्रोहियों को पुलिस भी ना पहचान पाई,
किसानों के भेष में गुंडागर्दी थी छाई।
क्या किया जाए यह सरकार भी ना समझ पाई,
थोड़ी सी गलती से कितनों ने अपनी जान गवाई।
इनके मकसद को सरकार पहले ही समझ जाती,
जाने कितनी जाने बच जाती।
