देश का फौजी
देश का फौजी
सरहद पर जाल बिछाया है
इक फौजी घर को आया है
जल्द ही उसको जाना है
सपनों को उसने पहचाना है
है प्रण उसका बलिदानी का
देश के लिए दीवानी का
सच्चे डोर से बंधा हुआ है
कल का नहीं भरोसा कोई
फिर भी सरहद पर डटा हुआ है
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सब आपस में भाई भाई
सबको हिंदू धर्म सिखाता है
नहीं आपस में बंटे हुए हम
इक डोरी से बंधे हुए हम
सबको यह बतलाता है
वही तो सच्चा देशभक्त है
धर्म हमें सिखलाता है