देश जलाना बन्द करो
देश जलाना बन्द करो
तुम हो अगर भारतवासी, अफवाह उड़ाना बन्द करो।
बिन मतलब की बातों पे, यूँ देश जलाना बन्द करो।।
है लोकतंत्र यहाँ पर भी , तुम कर सकते विरोध यहाँ।
मगर विरोध के आड़ में तुम, दंगे भड़काना बन्द करो।।
है देश ये हम सबका, ना अंजान बनो इस बात से तुम।
जो है कोई मतभेद अगर, तो हल करो संवाद से तुम।।
यूँ ट्रेनों और बसो में तुम, यूँ ही आग लगाना बन्द करो।
तुम हो अगर भारतवासी, अफवाह उड़ाना बन्द करो।
बिन मतलब की बातों पे, यूँ देश जलाना बन्द करो।।
तुम कैसे भारतवासी हो, जो खुद का देश जलाते हो।
अपनी ही संपत्ति को, खुद हीं नुकसान पहुचाते हो।।
हर बात में हिन्दू मुस्लिम का, नारा लगाना बन्द करो।।
तुम हो अगर भारतवासी, अफवाह उड़ाना बन्द करो।
बिन मतलब की बातों पे, यूँ देश जलाना बन्द करो।।
ये बुद्धिहीन बुद्धिजीवी, सहिष्णुता का राग लगाते हैं।
असल में सबसे ज्यादा, ये ही असहिष्णुता फैलाते है।।
हम कागज नहीं दिखाएंगे, पर आग जरूर लगाएंगे।
चोला ओढ़ अवसरवाद का, ये ढोंग रचाना बन्द करो।
तुम हो अगर भारतवासी, अफवाह उड़ाना बन्द करो।
बिन मतलब की बातों पे, यूँ देश जलाना बन्द करो।।