STORYMIRROR

Rahul Raj

Classics

4  

Rahul Raj

Classics

है उम्मीद इस बरस से

है उम्मीद इस बरस से

1 min
476

है उम्मीद की ना फिर, कोई निर्भया बने।

और ना ही कोई माँ, उन जैसा पूत जने।।

है उम्मीद यह हमें भी, बस इस बरस से।

ना फिर कोई बेटी, तेजाब से यहाँ जले।।


है उम्मीद ना छेड़े कोई, नन्ही सी जान को।

हर हाथ साथ उठे, बचाने उस सम्मान को।।

है उम्मीद की ना, काटे कोई पर उनका।

की उड़ कर छू सकें वो, खुले आसमान को।।


है उम्मीद की वो, हर बन्दिशों से आजाद हो।

ना मुरझाए कोई फूल, हर हाल में आबाद हो।।

ले संकल्प हम सब इस, नए बरस में की।

ना जिंदगी किसी नारी की, अब से बर्बाद हो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics