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Rahul Raj

Abstract

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Rahul Raj

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तुममे ममता की मूरत है

तुममे ममता की मूरत है

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कैसे बर्णन करूँ तुम्हारा, 

तुममे ममता की मूरत है।

कदमो में बसती है दुनिया, 

तुममे भगवान की सूरत है।


तुममे ही रूप है शारदा का, 

कभी आदिशक्ति वो काली है।

जरूरत आन पड़ी जब जब, 

तब तुमने विपदा संभाली है।


बहन बन कर तुमने कभी,

भाई का बेड़ा पार किया।

लेकर रूप कभी जगदम्बा का,

असुरों का संघार किया।


अनुसुइया बन कभी तुमने,

यमराज को भी ललकार दिया।

कष्ट देकर तुमने खुद को,

कितनों का जीवन संवार दिया।


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