डूबने से बच गए
डूबने से बच गए
मार्ग के कितने मुसाफिर, दृष्टि से ओझल हुए
मैं अकेला चल रहा, तब प्यार का संबल लिए
देव जर्जर राह धूमिल, पाँव थक जाए नहीं
पास मंजिल के अंधेरा, हो नहीं जाए कहीं
वाह जब पकड़ी मालिक ने, पंगु गिरवर लांघता
व्यर्थ ही मनवा हुआ, भयभीत उर को सालता
प्रेम के अवतार गुरुवर, गगन से सब देखते
एक पग आगे बढ़े हम, दस कदम वे दौड़ते
छोड़ जगत की आस, मालिक, पर भरोसा जो करें
दुख को बड़वानल हरे, संसार सागर से तेरे
उस अहैतुकी कृपा का, मोल हम कैसे करें
दर्द का हर भाव, नूतन साधना -सरगम बने
जो भजे गुरु को निरंतर, दुर्गुणों से बच गए
सौंप कर सब भार अपना, डूबने से बच गए।