डिजिटल प्रेम
डिजिटल प्रेम
प्यार अब भी वही है,
पर अंदाज़ बदल गया है।
पहले आंखें मिलती थीं,
अब स्क्रीन पर नज़रें टिकी रहती हैं।
पहले चिट्ठियां लाती थीं खुशबू,
अब संदेश आते हैं, पर महसूस नहीं होते।
दिल की धड़कनें अब भी बढ़ती हैं,
जब "typing..." दिखाई देता है।
वो इंतजार, वो बेचैनी,
बस थोड़ी डिजिटल हो गई है।
पहले मुलाकातें होती थीं शाम के बहाने,
अब वीडियो कॉल्स पर मुस्कुराहटें बटोरी जाती हैं।
साथ बैठकर चाय पीने की जगह,
हम "वर्चुअल डेट" का स्वाद लेते हैं।
स्टेटस बदलने से प्यार का इज़हार होता है,
इमोजी में छिपे होते हैं जज्बात।
दिल तो देता है वही पुराने वादे,
पर अब डिजिटल दिलों में रहती है बात।
कभी टेक्स्ट में दूरी बढ़ जाती है,
तो कभी एक "seen" दर्द दे जाता है।
प्यार अब भी पवित्र है,
पर उसकी परिभाषा बदल जाती है।
फिर भी कहीं न कहीं,
दो दिल अब भी जुड़ते हैं—
चाहे वाई-फाई के ज़रिए ही सही,
प्यार अपना रास्ता खोज लेता है।
इस डिजिटल युग में भी,
वो एहसास अब भी ज़िंदा है,
जहां एक "Hi" की शुरुआत,
किसी के लिए पूरी दुनिया बन जाती है।

