Rekha Shukla
Drama
शब्द ज्योति अखंड फोन डाकिया
बिछड़ के तुमसे मिलना है
मिट के फिर हमें बनना है
जलाते रहे हमसे हमें
तो ज्योत फिर भी बनना है
ज़ख़मी सांसे ...
माँ
रूठे
शब्द
एक लम्हां सो ...
पायल
ख़ुदा
रंग कलम से बे...
सैयो
ओ' परवर दिगार...
आतंकवादियों द्वारा हमला किया जा रहा है। जो धर्म के नाम पर मारते और नष्ट करते हैं। आतंकवादियों द्वारा हमला किया जा रहा है। जो धर्म के नाम पर मारते और नष्ट करते...
उँचे गगन में उड़ान भरते हैं मौसम की तरह बदल जाते हैं। यह तो हर साल होता है पतझड़ के पंछी... उँचे गगन में उड़ान भरते हैं मौसम की तरह बदल जाते हैं। यह तो हर साल होत...
कर रही यथाशक्ति मैं निर्माण अपना, सत्य करना है जो देखा है सपना...! कर रही यथाशक्ति मैं निर्माण अपना, सत्य करना है जो देखा है सपना...!
कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं। कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं।
फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ? फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ?
छंदमुक्त कविता...! छंदमुक्त कविता...!
किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा। किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा।
हर बार दर्द सहकर मैंने तो यही सीखा, "मौत तू एक ख़ूबसूरत कविता है जिसे मैं रोज गुनगुनाऊँगी जब तक तू ... हर बार दर्द सहकर मैंने तो यही सीखा, "मौत तू एक ख़ूबसूरत कविता है जिसे मैं रोज ग...
कई स्वर्णिम चतुर्भुज और बनाने, हाँ, अटल तुम फिर से आना...! कई स्वर्णिम चतुर्भुज और बनाने, हाँ, अटल तुम फिर से आना...!
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...! मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...!
मतदान का फिर क्या होगा? आपका एक वोट वहां कम न होगा ? मतदान का फिर क्या होगा? आपका एक वोट वहां कम न होगा ?
रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ
वह भोर के तारे से अधिक गोरा, और चन्द्रमा से भी अधिक सफेद है, वह भोर के तारे से अधिक गोरा, और चन्द्रमा से भी अधिक सफेद है,
पराजिता निर्यातित होकर भी, पी जाती हूँ आंसुओं को, बांध लेती हूँ इच्छाओं को। पराजिता निर्यातित होकर भी, पी जाती हूँ आंसुओं को, बांध लेती हूँ इच्छाओं को।
खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे अल्फाजों को समेटे ह... खामोशी, कहने को तो महज अल्फ़ाज़ है, लेकिन इसका अर्थ कुछ और है, खुद में इतने सारे...
दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में और उन्हें कराह भी करना तक नहीं. दर्द दबाकर रखा है दफन सीने में और उन्हें कराह भी करना तक नहीं.
ऐ मेरे मुल्क़ के अब फिर मिलेगी आज़ादी, ऐ मेरे मुल्क़ न कहना पड़े रोता क्यों है। ऐ मेरे मुल्क़ के अब फिर मिलेगी आज़ादी, ऐ मेरे मुल्क़ न कहना पड़े रोता क्यों है।
बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्त...