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Tirth Soni "Bandgi"

Romance Fantasy

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Tirth Soni "Bandgi"

Romance Fantasy

दास्ताँ - ए - प्यार

दास्ताँ - ए - प्यार

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तेरी हर अनकही बातों को मैं आँखों से पढ़ लेता हूँ।

तु लिखे ना लिखे, मैं दास्ताँ - ए - प्यार लिखता हूँ।


रूठे अगर तु कभी हमसे, एक पल में मना लेंगे,

शायद कभी हमारा मन रूठे, दो अश्क़ हम बहा लेंगे।


न करेंगे शिकायत तुमसे, अगर तुम इकरार न करो,

चले जायेंगे दुर अगर कह दो, की प्यार न करो।


लिखेंगे खत रोज़ तुम को, और आँसुओ से जला देंगे,

खत भेजेंगे हम हररोज़, पर पता तुम्हारा मिटा देंगे।


कभी न देगी दस्तक वो, यादें जिन्हें तुम भुला चुके,

तेरी प्यारभरी यादों से अपना जीवन त्यौहार बना लेंगे।


अनकहे अल्फ़ाज़ तुम्हारे, मैं दिल से चुरा लेता हूँ,

तू लिखे ना लिखे, मैं दास्ताँ - ए - प्यार लिखता हूँ।


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