STORYMIRROR

Tirth Soni "Bandgi"

Abstract Others

4  

Tirth Soni "Bandgi"

Abstract Others

प्यादा

प्यादा

1 min
352

जन्नत है तुझ में, जहन्नम तू मेरा,

तुझ से ही बना है वजूद मेरा ।

सांस लेते ही तेरा नाम आए,

दिल की धड़कनें तेरी याद लाए ।

खुशबू से तेरी बेशुमार महकता हूं,

तू खुदा है, में तेरा प्यादा हूं ।

तेरी मर्ज़ी चाहें जैसे भी चलाए,

चाहे हरा दे चाहे जिताए ।

सब मैंने तेरे हाथ में सौंप दिया,

फिक्र कैसी!चाहे मार दे चाहे बचाए ।

मैं बंदरिया तू दमदार मदारी,

दुनिया की क्या मजाल जो मुझे नचाए ?

तेरे इशारों पर मैं नाचूँ – कूदूँ ,

फटकार लगाना अगर कभी गलती हो जाए।

बस पकड़ कर तेरे पैर, "बंदगी" करूं

न छोड़ना कभी हाथ, बैठी मैं यही आस जगाए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract