अकारण पक्षपात
अकारण पक्षपात
अकारण पक्षपात इतना बढ़ा है क्यों ?
कोन मुसलमान ? कोन हिन्दू ? कहां लिखा ? और क्यों ?
क्यों इन्सानियत यो चुप खड़ी, आंखे चुराती कोने में ?
क्या यही सिखाया गीता, कुरान, अन्य धर्म पुराणों ने ?
वसुधा के बच्चों का यू बटवारा क्यों हो रहा ?
कहां गई वो सोच, मज़हब से मनुजता बड़ी जहां ?
हम कैसे ? ऐसे ही भूल गए हम एक थाली में खाते है ?
इसका उसका न किया कभी, हर त्योहार साथ मनाते है !
करो बंद ये बाते फ़िज़ूल कि, न आपके मुंह को सुहाती है ।
भाई भाई के बीच दीवाले, कहां सिखाई जाती हैं ?
पहले जातिवाद, फिर रंग भेद, न जानें भारत माँ ने कितना जैला
है ?
अब मज़हब के भेद पीछे कोन शा तमाशा खेला हैं ?
अब बस करो न गैर बनो, न दोहराओ इतिहास की बातों को ।
न जाने कितने मरेंगे, कितने खोएंगे अपनों को ?
