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Shailaja Bhattad

Children

4  

Shailaja Bhattad

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दादी-नानी की कहानी

दादी-नानी की कहानी

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दादी-नानी की कहानी में 

 खुद की कहानी को बुनना।

 अल्हड़ ख्वाबों से अपने

 ख्वाबों को चुनना।

 बेवजह ही हंसकर 

 सबको हंसाना।

 जीने की सबकी,

 वजह बन जाना।

यही तो बचपन का,

 सार है ।

बचपन ना हो तो ,

कहां यह संसार है।

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तू से तुम, तुम से आप,

 का सफर तय हो गया।

 बचपन क्या भूले,

 जल्द ही बुढ़ापा नसीब हो गया।

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बचपन जन-जन का श्रृंगार है।  

 बचपन ही में खास होने का एहसास है।

 हर दिन नई ऊर्जा का संचार है। 

 बचपन है तो, हर उम्र लाजवाब है।

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खेल-खेल में तैयारियां होती थी जहाँ।

आज खेल की भी तैयारियां होती है यहाँ।

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समय में घड़ियों का,

 तब जो था रहना।

 घड़ियों में समय का,

 अब है तड़पना।

जिंदगी में खुशियों की 

 कड़ियों का जुड़ना।

किश्तों में खुशियों का,

 अब है मचलना ।

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