चुरा लेना
चुरा लेना
कुछ प्यारे प्यारे सपने दूर हुए अपने
बचपन वाली वो बारिश सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू
वो अल्हड़ से दोस्त फुर्सत के वो पल
वो अनकहे वादे भूली बिसरी यादें
चुरा लेना चाहती हूं
मेरा रूठना तुनकना बातों बातों में इतराना
उनका बेचैन हो शब्दों को चासनी में डूबोना
दूरी वाली नज़दीकियां खामोशी की वो बातें
चुरा लेना चाहती हूं
यादों के उन पिंजरे में कैद कर
खुद को जतन से जमा किए
यादों के लम्हों को चुरा लेना चाहती हूं