STORYMIRROR

Usha Raghav

Romance

4  

Usha Raghav

Romance

चुपके चुपके

चुपके चुपके

1 min
417

चुपके चुपके चोरी चोरी, मुझसे मिलने आते हो तुम

कभी कभी डर के दुनिया से, दूर से वापस जाते हो तुम


प्यार बहुत करते हो हमसे, रोज़ ये बात जताते हो तुम

रोज़ जताने की खातिर ये, तोहफे सुन्दर लाते हो तुम


इसी प्यार की ख़ातिर हमसे, वादा रोज़ नया करते हो

और कहते हो प्यार से मुझसे, मेरी अदाओं पे मरते हो


अब न कोई वादा करना, जो हैं किये उन्हें ही निभाना

बना के दुल्हन अपनी पिया जी, अपने साथ हमें ले जाना


चुपके चुपके चोरी चोरी, 'ऊषा' से न मिलना अब तुम

घर वालों के सामने आकर, हाथ पकड़ ले जाना पिया तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance