चरणों में स्वर्ग
चरणों में स्वर्ग
रिश्तों में अनेक रंग हैं
मैं खुश नसीब हूँ की मां संग है
तन्हा छोड़कर माँ को
कहते है जीने का यही ढ़ग है
नहीं बनना श्रवण कुमार न बनो
माँ का पुत्र रहो, वही क्या कम है
मिलता रहे सदा आशीर्वाद
रिश्तों का अनोखा संगम हैं
मातृ स्नेह को तरसते ईश्वर भी
यारों तुम्हें किस बात का गम है
दर्जा ऊँचा है खुदा से जिनका
कहते है माँ के चरणों में स्वर्ग हैं।