चन्द्रशेखर आज़ाद
चन्द्रशेखर आज़ाद
आजाद ही थे आजाद रहे,
जीवन भर वचन निभाया ।
राष्ट्र धर्म की खातिर अपनी,
मिटा दी हंसकर काया ।।
जन्म भाबरा में पाया थी,
जगरानी उनकी माता ।
सीताराम पिता घर जन्मे,
जुड़ा सभी से फिर नाता ।।
ब्रिटिश राज की मनमानी ने,
मन विचलित कर डाला ।
एच0आर0ए0मे जुड़कर के ,
क्रान्ति का बिगुल बजा डाला ।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु,
बिस्मिल अरू अशफाक मिले ।
काकोरी में किया काण्ड फिर,
दल को बम हथियार मिले ।।
गोरों का डट किया सामना,
ब्रिटिश राज को हिला दिया ।
इलाहाबाद जब आए इनका,
भेद भेदिया खोल दिया ।।
अल्फ्रेड पार्क में आकर के,
नाट बाबर ने घेर लिया ।
चली गोलियाँ घण्टों तक,
पर पास फटकने नहीं दिया ।।
जब एक ही गोली बची शेष,
तो मां को शीश नवाया।
आजाद रहे आजाद न बन्दी,
बने त्याग दी निज काया ।।
बार बार है नमन हमारा,
चरणों में नत होता शीश ।
देश की खातिर जान लुटाई,
तुम ही हो समान जगदीश ।।