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Nand Kumar

Inspirational Others

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Nand Kumar

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चन्द्रशेखर आज़ाद

चन्द्रशेखर आज़ाद

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आजाद ही थे आजाद रहे, 

जीवन भर वचन निभाया । 

राष्ट्र धर्म की खातिर अपनी, 

मिटा दी हंसकर काया ।।


जन्म भाबरा में पाया थी, 

जगरानी उनकी माता ।

सीताराम पिता घर जन्मे, 

जुड़ा सभी से फिर नाता ।।


ब्रिटिश राज की मनमानी ने,

मन विचलित कर डाला ।

एच0आर0ए0मे जुड़कर के , 

क्रान्ति का बिगुल बजा डाला ।।


भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, 

बिस्मिल अरू अशफाक मिले ।

काकोरी में किया काण्ड फिर, 

दल को बम हथियार मिले ।।


गोरों का डट किया सामना, 

ब्रिटिश राज को हिला दिया ।

इलाहाबाद जब आए इनका, 

भेद भेदिया खोल दिया ।।


अल्फ्रेड पार्क में आकर के, 

नाट बाबर ने घेर लिया ।

चली गोलियाँ घण्टों तक, 

पर पास फटकने नहीं दिया ।।


जब एक ही गोली बची शेष,

तो मां को शीश नवाया।

आजाद रहे आजाद न बन्दी, 

बने त्याग दी निज काया ।।


बार बार है नमन हमारा, 

चरणों में नत होता शीश ।

देश की खातिर जान लुटाई, 

तुम ही हो समान जगदीश ।।



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