चिराग-ऐ-इश्क
चिराग-ऐ-इश्क
चिराग-ऐ-इश्क़ से रोशन किया दिल को,
अंधेरा-ऐ-ग़म दूर करेगा समझे थे,
दिल-ए-नादान को पर, ख़ाक कर देगा,
यह मालूम न था।
चमन-ऐ-ज़िंदगी में गुलाबों सी महक होगी,
बू-ऐ-अकेलेपन से निजात मिलेगी समझें थे,
मस्जिद-ऐ-जिस्म को पर, छलनी कर देगा
यह मालूम ना था।
फ़लक-ऐ-दिल में धनक सी रंगत होगी,
कालीख-ऐ-ज़हन साफ़ होगा समझे थे,
रूह-ऐ-पाकीज़ा को पर, तबाह कर देगा,
यह मालूम ना था।